बिहार राज्य की सांस्कृतिक झलक को सहेजने का एक प्रयास। दैनिक भास्कर और स्थानीय समाचारपत्रों का विशेष आभार। - राहुल तिवारी (https://rahultiwaryuniverse.blogspot.com) #Bihar #BiharBlog #Blog #India
बिहार का खाना: पटना की चन्द्रकला मिठाई | Patna's Chandrakala Mithai: Bihar Cuisines
रामायण की कुंभकर्ण को जगाने के प्रयत्नों वाली कथा का नया विस्तार पटना में घूमते हुए मिल जाएगा। यहां के दुकानदार बताएंगे कि असल में कुंभकर्ण रावण के किसी उपाय से नहीं जागा तो आखिर में उसके लिए एक खास मिठाई लंकापति ने बनवाई। उसकी गंध मिलते ही कुंभकर्ण जाग गया। पटना के लोग चंद्रकला को ही वो खास मिठाई बताते हैं, जो कुंभकर्ण को जगाने के लिए पहली बार बनवाई गई थी।
अब चंद्रकला लंका से सीधे पटना कैसे पहुंच गई और यहां की पहचान किस तरह बन गई, इसका रहस्य खोजा जाना बाकी है। खैर! दंतकथाओं या मिथकों की अपनी रोचकता होती है और दायरा भी। रावण ने चंद्रकला मिठाई बनवाई थी या नहीं, कुंभकर्ण इसी के प्रभाव से जागा था या नहीं, ये तो कोई नहीं जानता, लेकिन इतना हर बिहार प्रेमी समझता है कि पटना की पहचान वाली मिठाई चंद्रकला ही है।
चंद्रगुप्त के समय का स्वाद
कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि चंद्रकला को रावण की मिठाई कहकर बदनाम न करें, ये राजा चंद्रगुप्त के काल की मिठाई है। जैसा कि नाम से संकेत मिलता है, चंद्रगुप्त की पसंदीदा मिठाई है, इसीलिए इसका नाम चंद्रकला है। इन कहानियों को परे कर चंद्रकला की बनावट-बुनावट और स्वाद को समझें। इसका सीधा रिश्ता-नाता बनारस की लवंगलता या पेंड़किया-गुजिया वाले कुल-खानदान से जुड़ा मिलता है। सारी सामग्री वही, विधि भी एक जैसी, बस थोड़ा-सा अंतर इसे विशिष्ट बनाता है। बनारस में जो लवंगलता मिलती है, वो रस से सराबोर नहीं रहती, बल्कि रस में डुबाकर फिर तलहटी में थोड़ा रस रखकर उसे सजाया जाता है। बनावट अलग होती है और लौंग जाल दी जाती है, इसलिए उसे लवंगलता कहते हैं। खोए वाली पेंड़किया या गुझिया भी चंद्रकला की तरह है, लेकिन दोनों की बनावट अलग है। इसी परिवार में एक और मिठाई का आगमन हाल के वर्षों में से हुआ है। वो है- मीठा समोसा, खोया समोसा। यूं चंद्रकला इनसे थोड़ी अलग है। वो रस में डुबकियां लगाती रहती है। ताजा लें, ताजा खाएं तो गरमागरम रहती है। और फिर आकार-प्रकार भी है- चांद की तरह गोल-मटोल।
मैदा, खोया और ड्रायफ्रूट
चंद्रकला तैयार करने की विधि सरल है। मैदे का आटा तैयार कर अंदर खोया भरते हैं। खोए में चाहें तो ड्रायफ्रूट मिला दें। इसके बाद उसे तल लेते हैं। चंद्रकला बनाने के लिए छोटी कचौड़ी के आकार के बराबर दो गोलाकार बेल लें और फिर उसके बीच खोया भरकर, दोनों को आपस में जोड़ने के साथ चारों तरफ से मोड़ लें, ताकि उसका सौंदर्य निखर जाए। ये प्रक्रिया पूरी करने के बाद अब चंद्रकला को घी में तल लें और पहले से तैयार, चीनी की गाढ़ी और गर्म चाशनी में डुबकियां लगाने के लिए डालते जाएं।
ये तो एक विधि है। पटना की पहचान वाली चंद्रकला ऐसे ही बनती है, इसी रूप में मिलती है, लेकिन नए दौर में बड़ी दुकानों पर पहुंचकर चंद्रकला मिठाइयों के एलीट क्लब में शामिल हो गई है। यहां चंद्रकला रस में सराबोर न रहकर, सूखी मिलती है। मिष्टान्न विक्रेता सिर्फ एक बार चाशनी में डुबाकर चंद्रकला को बाहर निकाल लेते हैं और फिर सुखाकर रख लेते हैं, ताकि लंबे अरसे तक इसकी बिक्री की जा सके।
निराला बिदेसिया
Bihar Shows Good Covid Recovery Rate, Ranks Third in India
Data shared by the Union health ministry has placed Dadra and Nagar Haveli/Daman and Diu at the top of the list with a recovery rate of 88.90%, followed by Delhi at 88.50% and Bihar at the third position with 87.90%. Tamil Nadu is ranked fourth with a recovery rate of 86.20%.
In the past 24 hours, altogether 1,572 people have recovered from Covid-19 in the state of Bihar, taking the tally of cured people to 1,24,976 people. [Reference]
It may appear surprising that why recovery rate in Bihar is so high; because normally it was being thought that better medical facilities and good hospitals are needed for high recovery rate (as it has been said in connection to Delhi also). Bihar may not boost of great hospitals and infrastructure but it can be thought of that the immunity level of the population must be high. It speaks good about the state of health of Bihar's population.
Both government of Bihar and Central Government need to be applauded for Bihar's good performance and we hope that the state keep showing good results in containing the corona virus pandemic.
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